डीजल कारों की मांग में पिछले छह सालों में दिखी भारी गिरावट, कानूनी बंदिशें बनी सबसे बड़ा कारण

पांच साल पहले देश में खरीदी जाने वाली हर दूसरी कार डीजल कार होती थी। लेकिन आज यह आंकड़ा गिर कर प्रत्येक चौथी कार तक जा पहुंचा है। यह गिरावट सिर्फ सीडान या कॉम्पैक्ट श्रेणी की कारों तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि डीजल कारों में ग्राहकों की पहली पसंद मानी जाने वाली एसयूवी श्रेणी की कारों की बिक्री में भी गिरावट आई है। पिछले पांच सालों में एसयूवी की पेट्रोल कारों की बिक्री में लगभग पांच गुना की वृद्धि हुई है। जहां 2012-13 में पेट्रोल एसयूवी की खरीदारी लगभग 3 प्रतिशत तक सीमित थी, वहीं 2017-18 में बढ़कर 16 प्रतिशत पहुंच गई है।दिल्ली-एनसीआर में लगा था बैन
पेट्रोल व डीजल कारों की कीमत के बीच घटते फासलों व कई तरह की कानूनी बंदिशों को इसका कारण माना जा रहा है। वर्ष 2016 में दिल्ली-एनसीआर में लगभग आठ महीनों के लिए 2000 सीसी से ज्यादा इंजन वाले डीजल वाहनों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें बैन कर दिया गया था। दिल्ली-एनसीआर में डीजल कारों की वैधता सिर्फ दस सालों की है, जबकि पेट्रोल कारों की वैधता पंद्रह साल की है।
प्रदूषण के लिए जिम्मेदार
डीजल कारों से पॉर्टिकुलेट मैटर (पीएम) व नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे प्रदूषण फैलाने वाले तत्व भारी मात्रा में निकलते हैं, जिसके कारण कई अन्य प्रदेश भी दिल्ली जैसा कानून लागू करने जा रहे हैं। कई शहरों में तो डीजल टैक्सियां तक प्रतिबंधित हैं।
पेट्रोल व डीजल कारों की कीमत के बीच घटते फासलों व कई तरह की कानूनी बंदिशों को इसका कारण माना जा रहा है। वर्ष 2016 में दिल्ली-एनसीआर में लगभग आठ महीनों के लिए 2000 सीसी से ज्यादा इंजन वाले डीजल वाहनों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें बैन कर दिया गया था। दिल्ली-एनसीआर में डीजल कारों की वैधता सिर्फ दस सालों की है, जबकि पेट्रोल कारों की वैधता पंद्रह साल की है।
प्रदूषण के लिए जिम्मेदार
डीजल कारों से पॉर्टिकुलेट मैटर (पीएम) व नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे प्रदूषण फैलाने वाले तत्व भारी मात्रा में निकलते हैं, जिसके कारण कई अन्य प्रदेश भी दिल्ली जैसा कानून लागू करने जा रहे हैं। कई शहरों में तो डीजल टैक्सियां तक प्रतिबंधित हैं।
6 साल में 27 फीसदी की गिरावट

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